ये शिखर का आगाज़ है.!या सफर का अंजाम .!!
ये बारिश की बुँदे,ये ठंडी हवा के झोंखे..!
ये मशरूफ ज़िंदगी मै दिल की बेचैनी क्यों...!!
वो ढलती हुई शामे.!
ओर मेरे रूम की खिड़की ..!!
ये अपनों की उमीदे पर.!
खुद से बेरुखी क्यों ..!!
ये शिखर का आगाज़ है.!
या सफर का अंजाम .!!
ये बनते बिगडते रिश्तो को ..!
बांधे एक नाज़ुक सी डोर..!!
यहाँ सब कुछ पाकर भी ..!
हे आँखों मै ख़ामोशी क्यों .!!
आज अपनों के पास होकर भी .!
न होने का एहसास क्यों..!!
ये शिखर का आगाज़ है.!
या सफर का अंजाम .!!
Ye skhikhar a aghaz hai,ya safar ka anjaam......
Ye barish ki bundee,yeh thandi hawa ke jhonke..!
Ye masroof zindgi mai ,dil ki becheniya..!!
Woh dhlati hui sham ..!
Or mere room ki khidaki.!!
Ye apno ki umeede hai,
ya khud se berukhi..!
Ye skhikhar ka aghaz hai,
Ya safar ka anjaam..!!
Ye bante bigadte rishton ko bandhe,
Ek nazuk si dor..!!
Yaha seb kuch pakar bhi hai,
Aankhon main khamoshi kyo..!!
Aaj apno ke paas hokar bhi.!
Na hone ka ehsaas kyo..!!
Ye skhikhar a aghaz hai.!
ya safar ka anjaam..!!!!!
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