कभी अधूरे सपनो को पूरा करने की ज़िद है ..!
अपने उसूलो के लिए ज़माने से लड़ने की ज़िद है ..!!
आज झुठ को सच साबित करने की ज़िद है ..!
यारो के लिए किसी भी हद तक गुज़र जाने की जींद हे..!!
उनकी 'ना' को .!
'हाँ' में बदलने की ज़िद है ..!!
फिर उनकी बेवफाई पर .!
सारे मयखाने खाली करने की ज़िद है ..! !
आज हर दर्द को .!
धुओं के छल्ले में उड़ाने की ज़िद है..!!
आज हर मुकाम को हासिल करने की ज़िद है ..!
उस एक मुकाम के लिए खुद को फनाह करने की ज़िद है ..!!
ज़माने को हमारी ये ज़िद पसंद नहीं ..!
और अपनी ज़िद के लिए हमे ये ज़माना पसंद नहीं ..!
ज़िद का आलम तो कुछ ऐसा है यारो..!
आज में हूँ और मेरी ये ज़िद है ...!!!!
Aaj sirf mai hoon or meri ye zid hain..!!!!!!!!
Kabhi adhure sapno ko pura karne ki zid hai...!!
Apne usuloo ke liye zamaane se ladne ki zid hai...!!
Jhoot ko sach sabit karne ki zid hai......!!
Dosto ke liye kisi bhi had tak guzarne ki zid hai..!!
Unki 'na' ko 'haan' mein badalne ki zid hai..!!!
Fir unki bewafai par sare shahar ke mahkhane khali karne ki zid hai..!!
Har dard ko dhue ke challo main udane ke zid hai..!!
Aaj har mukam ko hasil karne ki zid hai..!!
Us mukaam ke liye khud ko fanaa karne ki zid hai..!!
Zamzane ko hamari ye zid ki adat pasand nahi..!!
Or apni zid ke liye hume ye zamana pasand nahi..!!
Zid ka alam to kuch aisa hain yaaroo..!!
Aaj sirf main hoon or meri ye zid hai..!!!!!!